पिछले कुछ वर्षों में सोना लगातार महँगा होता गया है। कई बार यह भावनात्मक खरीदारी के बजाय आर्थिक चिंता का कारण बन गया। जहां एक समय हर मध्यमवर्गीय परिवार धनतेरस पर 5 ग्राम सोना खरीद लेता था, वहीं आज वही खरीद कई गुना महंगी हो गई है। लेकिन क्या इसका मतलब है कि शुभता अब केवल अमीरों तक सीमित रह गई? बिल्कुल नहीं।
सोने का प्रतीक ‘चमक’ है — पर असली चमक तो भावनाओं, अपनत्व और परंपरा की होती है। इसलिए इस बार, अगर आप अपने दिल को खुश रखना चाहते हैं लेकिन खर्च सीमित है, तो ये 7 किफ़ायती विकल्प आपके लिए परफेक्ट हैं।
आजकल बाजार में इतनी फाइनिश्ड गोल्ड-प्लेटेड ज्वेलरी आती है कि पहचानना मुश्किल हो जाता है कि असली है या नहीं। खूबसूरती वही, खर्च बहुत कम। यह फैशन और शुभता दोनों का संगम है।
चांदी पर सोने की कोटिंग वाले गहने (vermeil) अब नया ट्रेंड हैं। यह लंबे समय तक चलते हैं, सस्ते हैं और सोने जैसी चमक देते हैं।
एक बार में 20 ग्राम खरीदने की बजाय हर महीने 1 या 2 ग्राम निवेश करें। इससे बजट पर बोझ नहीं पड़ेगा और धीरे-धीरे अच्छी बचत बन जाएगी।
तकनीक ने सोने को जेब में डाल दिया है। आप मोबाइल से डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं, जहाँ फिजिकल स्टोरेज का झंझट भी नहीं। यह पूरी तरह सुरक्षित और आसान तरीका है।
कई भरोसेमंद ज्वैलर्स और बैंक ऐसी योजनाएँ चलाते हैं जहाँ आप हर महीने छोटी राशि जमा करते हैं और साल के अंत में सोना खरीद सकते हैं। यह अनुशासन और शुभता दोनों को बनाए रखता है।
पुराने डिज़ाइनों के गहने अगर अच्छे स्रोत से खरीदे जाएँ तो काफी किफ़ायती साबित होते हैं। बस प्योरिटी और सर्टिफिकेट की जांच अवश्य करें।
त्योहार केवल खरीदारी का नाम नहीं है। परिवार के साथ एक डिनर, किसी पुराने दोस्त से मुलाकात, या किसी ज़रूरतमंद की मदद — यह सब ‘सोने’ से भी ज़्यादा मूल्यवान है।
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