दिवाली: इस धनतेरस पर करें वैदिक ज्योतिष के अनुष्ठान
धनतेरस वह महीना है जब घर-घर में दीप जलते हैं, बाजारों में खनक होती है और मन में एक मीठा संकल्प जाग उठता है — “इस साल कुछ अच्छा करूँगा/करूँगी।” वैदिक ज्योतिष कहता है कि सही समय और सही विधि से किया गया अनुष्ठान केवल शुभता नहीं लाता, बल्कि मन और परिवार में स्थिरता भी जगाता है। आइए एक भावनात्मक कहानी के साथ समझें कौन-से अनुष्ठान इस धनतेरस पर करें — सरल, प्रभावी और श्रद्धापूर्ण।
एक छोटी-सी कहानी: दादी का संदूक
मेरी दादी का एक पुराना संदूक था — उसमें छोटे-छोटे ताबीज़, थोड़ी चाँदी, और एक छोटा सा पुराना मिट्टी का दीपक। हर धनतेरस पर दादी उसे खोलतीं, दीपक पर घी चढ़ातीं और कहतीं — \”यह सिर्फ सोना नहीं, हमारी कहानियाँ हैं।\” उसी संदूक से मिली सीख है: अनुष्ठान केवल रस्म नहीं, बल्कि यादें और विश्वास हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रमुख अनुष्ठान
- संकल्प और स्वच्छता: अनुष्ठान शुरू करने से पहले घर की सफाई करें, खुले स्थान पर छोटा पूजन-स्थान बनाएं और मन से संकल्प लें — यह आपके इरादों को केंद्रित करता है।
- लक्ष्मी-कुबेर पूजा: शाम के शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर का स्मरण करें। साधारण विधि: साफ कपड़े, दीपक, रोली-कुमकुम, अक्षत (चावल), फूल और प्रसाद रखें। बीज-मंत्र या ‘ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः’ का उच्चारण मन से करें।
- धन्वंतरि आराधना (स्वास्थ्य हेतु): वैदिक परंपरा में धन्वंतरि को आयु और आरोग्य का देवता माना जाता है। छोटे हवन में गोधूली में विशेष औषधि-हवन सामग्री (सुगंधित जड़ीबूटियाँ) का समावेश सौभाग्य और स्वास्थ्य का संदेश देता है।
- हवन/यज्ञ: छोटा-सा घर का हवन (यदि संभव हो) सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है। घी, कुश, उपयुक्त हवन सामग्री और ‘गायत्री’ या ‘मृत्युंजय’ जैसे संक्षिप्त मन्त्रों का जाप शांति और समृद्धि लाने में सहायक माना जाता है।
- यंत्र स्थापना और पूजा: लक्ष्मी-यंत्र या कुबेर-यंत्र (छोटे आकार के) को शुद्ध करके पूजा स्थल पर स्थापित करें। yantra के पास लाल कपड़ा और दीप रखें — परंतु प्रमाणित दुकान से ही यंत्र लें और उचित गाइड के अनुसार स्थापना करें।
- दान और परोपकार: दान (अनाज, कपड़े, पैसे) को धनतेरस के दिन अत्यंत पुण्यफलदायी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में कहा जाता है — दान से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और घर में समृद्धि के लिए मार्ग बनता है।
यदि आप संक्षिप्त मंत्र बोलना चाहते हैं तो ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ जैसा सरल उच्चारण भी बहुत अर्थ रखता है। मंत्रों का उच्चारण श्रद्धा से करें; मात्र उच्चारण ही आपकी नीयत को सशक्त बनाता है।
अनुष्ठान करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- स्थानीय शुभ मुहूर्त और तारीख की पुष्टि अपने पंडित/पंचांग से अवश्य करें।
- सरलता रखें — अनुष्ठान जितना अधिक मन से होगा, उतना ही प्रभावशाली होगा।
- यदि परंपरा विशेष पूजा-विधि का निर्देश देती है तो पारिवारिक बुजुर्गों या पंडित की सलाह लें।
- हवन करते समय सुरक्षा का ध्यान रखें — छोटे बच्चों को दूरी पर रखें और ज्वलनशील पदार्थ संभालकर रखें।
मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ
वैदिक अनुष्ठान केवल आध्यात्मिक ही नहीं होते — ये मन को एकाग्र करने, चिंता कम करने और परिवार में सामंजस्य बढ़ाने का माध्यम भी हैं। दीपक की लौ और मन्त्रों की लय एक शांत आभा बनाती है जो दिन भर की तेज़-रफ्तार में भी हमें ठहरने का मौका देती है।
समाप्ति — दिल से किया हुआ अनुष्ठान सबसे शुद्ध
दादी का संदूक, दिये की लौ, और घर की हँसी— यही वह चीज़ें हैं जो धनतेरस और दिवाली को सार्थक बनाती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सही विधि और शुभ मुहूर्त का पालन करें, पर सबसे ज़्यादा ध्यान रखें कि आपका अनुष्ठान मन से हो। यही सच्चा यज्ञ है — और यही सच्ची समृद्धि।
