दिवाली पूजा विधि: अनुष्ठान करने की चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका
दिवाली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि मन की शुद्धि और रिश्तों की बहाली का त्योहार भी है। चाहे आप पहली बार पूजा कर रहे हों या वर्षों से पारंपरिक विधि निभाते आए हों — यह सरल चरण-दर-चरण गाइड आपकी पूजा को सुगठित, अर्थपूर्ण और भावपूर्ण बनाएगी।
पूजा से पहले: तैयारी और मनस्थिति
पूजा की शुरुआत से पहले घर साफ़ करें, साफ कपड़े पहनें और मोबाइल/डिजिटल विकर्षण एक तरफ रखें। मन में एक छोटा सा संकल्प लें — परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना। यह नीयत पूजा की सबसे पहली सामग्री है।
आवश्यक सामग्री (साधारण सूची)
- लक्ष्मी/गणेश/कुबेर की मूर्ति या तस्वीर, पीतल/मिट्टी का दीपक
- घी/तेल, कपूर, धूप, फूल, अक्षत (चावल), रोली-कुमकुम
- दीपक के लिये छोटी कासा वें (घिया), नैवेद्य (फल/मिठाई), फूल
- अगर हवन कर रहे हों तो हवन सामग्री: कुश, घी, लकड़ी के छोटे तुकड़े, सामग्रीयुक्त हवन सामग्री
- सिक्का/सोने-चाँदी का छोटा टुकड़ा (इच्छानुसार), पवित्र जल
चरण-1: स्थान निर्माण और शुद्धि
उत्तर-पूर्व (ईशान) या पूजा कोना साफ करें। जमीन पर साफ कपड़ा बिछाएँ। अगर संभव हो तो गंगा जल या शुद्ध जल छिड़क कर स्थान को शुद्ध करें।
चरण-2: संकल्प और कलश स्थापना
हाथ में जल लेकर दिल में संकल्प कीजिए। छोटी सी कलश स्थापना करें — कलश में जल, कुछ चावल और एक आम पत्र रखें। कलश को हल्का सा लाल कपड़े से ढक दें।
चरण-3: लक्ष्मी-कुबेर और धन्वंतरि पूजन (मुख्य अनुष्ठान)
माताजी लक्ष्मी की फोटो/मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करें। घी से दीपक जलाएं और निम्नलिखित क्रम अपनाएँ:
- धूप और दीप आरंभ करें — तीन बार हाथ जोड़कर प्रणाम।
- लक्ष्मी-कुबेर को पुष्प, अक्षत तथा नैवेद्य अर्पित करें।
- यदि चाहें तो ‘ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र या कोई पारंपरिक स्तुति पढ़ें।
- धन्वंतरि आराधना में तुलसी, तुलसी जल या हल्का-सा अभ्यंग अर्पण कर स्वास्थ्य की कामना करें।
चरण-4: हवन (यदि कर रहे हों)
हवन ऊर्जा को शुद्ध करता है। छोटी सी हवन कुण्ड बनाकर कुश/लकड़ी में घी डालें और छोटे-छोटे सामग्रियाँ (गुड़, स्टीमिंग द्रव्य, सिंघाड़ा इत्यादि) डालें। अगर आपको हवन मंत्र याद हों तो उनका उच्चारण करें, अन्यथा हवन के दौरान कुछ समय शांत बैठ कर अपने इरादों पर फोकस करें।
चरण-5: आरती और प्रसाद वितरण
पूजन के अंत में आरती करें — पारंपरिक आरती गीत जैसे “ॐ जय लक्ष्मी माता” या “ॐ जय जगदीश हरे” गा कर दीप से परिक्रमा करें। आरती के बाद प्रसाद बांटें और परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दें।
चरण-6: दान और परोपकार
दिवाली पर दान का विशेष महत्व है। थोड़ी सी राशी अनाथालय, नजदीकी मंदिर या जरुरतमंद को दें। दान से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और व्रत का फल भी प्राप्त होता है।
कुछ सरल परामर्श और सावधानियाँ
- हवन करते समय बच्चों और ज्वलनशील वस्तुओं का विशेष ध्यान रखें।
- यदि आप शुरुआती हैं तो बहुत लंबा अनुष्ठान न चुनें — सादगी में भी गहराई है।
- कागज़ी या प्लास्टिक सजावट के साथ दीयों को बहुत न भरें — आग का जोखिम हो सकता है।
- मंत्रों और विधियों में भिन्नता परिवार परंपरा और क्षेत्रानुसार हो सकती है; अपने पारिवारिक बुजुर्गों या पंडित से सलाह लें।
