धनतेरस: अर्थ, महत्व, अनुष्ठान और परंपराएँ
दीपावली के पंचदिवसीय उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल खरीददारी या सोने-चाँदी का पर्व नहीं, बल्कि समृद्धि, आरोग्य और नई शुरुआत का प्रतीक है। संस्कृत में ‘धन’ का अर्थ है सम्पत्ति या संपन्नता, और ‘तेरस’ का अर्थ है त्रयोदशी तिथि। इस प्रकार, धनतेरस वह दिन है जब लोग अपने जीवन में सुख, स्वास्थ्य और धन का स्वागत करते हैं।
धनतेरस का पौराणिक अर्थ
पुराणों के अनुसार, इस दिन धन्वंतरि भगवान समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इसे ‘धनत्रयोदशी’ भी कहा जाता है। धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है, जो स्वास्थ्य और दीर्घायु के प्रतीक हैं। इसीलिए इस दिन आरोग्य के लिए भी प्रार्थना की जाती है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस केवल भौतिक समृद्धि का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि का भी प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन नया बर्तन, सोना, चाँदी या यहां तक कि झाड़ू तक खरीदना भी शुभ होता है क्योंकि यह लक्ष्मी जी का स्वागत माना जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस की शाम को भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना और चारों दिशाओं में दीप रखना शुभ माना जाता है।
पूजा के चरण:
- स्नान के बाद घर को साफ़-सुथरा करें और रंगोली बनाएं।
- पूर्व दिशा की ओर मुंह करके लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
- धूप, दीप, पुष्प, चावल, और मिठाई अर्पित करें।
- ‘ॐ धन्वंतरये नमः’ का जाप करें।
- संध्या के समय दीपदान करें — खासकर तुलसी और मुख्य द्वार पर।
धनतेरस की परंपराएँ
इस दिन नया सोना या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अपने उपकरणों की पूजा करते हैं, जबकि व्यापारी नए लेखा-जोखा शुरू करते हैं। घर की महिलाएँ दीप जलाकर ‘लक्ष्मी जी का आह्वान’ करती हैं।
धनतेरस और आधुनिक समय
आज के दौर में, धनतेरस सिर्फ खरीददारी का बहाना नहीं, बल्कि आर्थिक विवेक और पारिवारिक सामंजस्य का दिन बन गया है। यह हमें सिखाता है कि “धन तभी अर्थपूर्ण है जब वह शुभ कर्मों में प्रयुक्त हो।”
एक प्रेरक कथा
कहते हैं कि राजा हेम की मृत्यु टालने के लिए उसकी पत्नी ने इस दिन घर में दीपों की रोशनी से ऐसा उजाला किया कि यमराज भी लौट गए। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि धनतेरस की रात घर-घर दीपों से जगमगाता है — यह न केवल मृत्यु के भय को दूर करता है, बल्कि जीवन में आशा का दीप भी जलाता है।
धनतेरस का सच्चा संदेश
धनतेरस हमें याद दिलाता है कि सच्चा धन केवल रुपया-पैसा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, संतोष और प्रेम है। अगर हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा है, परिवार में प्रेम है, तो वही सबसे बड़ी समृद्धि है।
