धनतेरस पर बनने वाले 4 पारंपरिक व्यंजन
धनतेरस का दिन सिर्फ सोना-चाँदी खरीदने या दीप जलाने तक सीमित नहीं है — यह उस खुशबू का त्योहार भी है जो रसोई से पूरे घर में फैल जाती है। माँ के हाथों की मिठास, घी की खुशबू और पकवानों की सिजलिंग आवाज़ें धनतेरस को सच में ‘स्वाद का त्योहार’ बना देती हैं।
आइए इस लेख में जानते हैं चार ऐसे पारंपरिक व्यंजन जिनके बिना धनतेरस अधूरी मानी जाती है — और जो केवल स्वाद नहीं, बल्कि परंपरा, आशीर्वाद और परिवार की एकता का प्रतीक हैं।
१. चकली (मुरुक्कू): कुरकुरे सौभाग्य का प्रतीक
कहानी: दक्षिण भारत में धनतेरस के दिन चकली बनाना सौभाग्य का संकेत माना जाता है। घुमावदार आकार जीवन के चक्र को दर्शाता है — जहाँ हर कठिनाई के बाद मिठास लौट आती है।
सामग्री: चावल का आटा, उड़द दाल का आटा, तिल, लाल मिर्च, घी और नमक।
विधि: सभी सामग्री मिलाकर मुलायम आटा गूंथें। फिर चकली मशीन से घुमाकर तल लें। गरमागरम परोसें — बाहर से कुरकुरी, अंदर से स्वादिष्ट!
२. मेथी के लड्डू: स्वास्थ्य और आरोग्य का उपहार
कहानी: धनतेरस के दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा होती है — जो आयुर्वेद के देवता हैं। इसलिए कई घरों में मेथी लड्डू बनाना ‘आयुर्वेदिक प्रसाद’ की तरह माना जाता है।
सामग्री: मेथी दाना, गोंद, सूखा नारियल, गुड़ और घी।
विधि: मेथी को भूनकर पीस लें, फिर गोंद और नारियल को भूनें। सबको मिलाकर गुड़ और घी के साथ लड्डू बना लें। सर्दियों में यह शरीर को ताकत देता है।
३. शाही खीर: समृद्धि की मीठी परंपरा
कहानी: उत्तर भारत में धनतेरस के दिन ‘शुभ आरंभ’ के लिए खीर का विशेष स्थान है। इसे लक्ष्मी जी के स्वागत में बनाया जाता है, ताकि घर में मिठास और समृद्धि बनी रहे।
सामग्री: चावल, दूध, चीनी, केसर, इलायची और बादाम।
विधि: दूध को गाढ़ा करें, फिर चावल डालें। इलायची, केसर और मेवे मिलाकर सुनहरी खुशबू आने तक पकाएँ। यह खीर सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि शुभता का प्रतीक है।
४. तिल-गुड़ की चक्की: रिश्तों में मिठास का संदेश
कहानी: धनतेरस से लेकर दिवाली तक, तिल-गुड़ की मिठाइयाँ प्रेम और एकता का प्रतीक हैं। यह व्यंजन सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखता है और रिश्तों को मजबूत करता है।
सामग्री: तिल, गुड़, घी और इलायची।
विधि: गुड़ को घी में पिघलाकर उसमें तिल डालें। मिश्रण को ट्रे में फैलाकर ठंडा करें, फिर चक्की के रूप में काटें। “मीठे बोलो, मीठा खाओ” — यही है इसका संदेश!
धनतेरस की थाली का संदेश
धनतेरस की थाली केवल भोजन नहीं — यह परंपरा, परिवार और सकारात्मक ऊर्जा का संगम है। हर व्यंजन अपने स्वाद के साथ एक कहानी कहता है, जो हमें जोड़ता है अपनी मिट्टी, अपने मूल और अपने परिवार से।
तो इस धनतेरस, जब आप रसोई में घी गरम होते सुनें — याद रखिए, आप सिर्फ खाना नहीं बना रहे, बल्कि घर में समृद्धि, प्रेम और परंपरा का दीप जला रहे हैं।
