धनतेरस: इस शुभ त्योहार पर सौभाग्य के लिए खरीदें ये 10 ज़रूरी चीज़ें
थोड़ी सी आस्था, थोड़ी सी तैयारी — और घर में लौट आता है शुभ-समृद्धि का प्रकाश।
धनतेरस का नाम लेते ही मन में रोशनी की लहर दौड़ जाती है। दीपों की कतारें, घर की सफ़ाई की सुगंध, और माँ के हाथों से सजे थाल की चमक — यह सब मिलकर बनाते हैं उस माहौल को जहाँ हर कोने से आशा झलकती है। यह दिन सिर्फ धन-संपत्ति से जुड़ा नहीं है, बल्कि नए आरंभ और शुभ संकेतों का प्रतीक है।
पुराणों में कहा गया है कि इस दिन समुद्र मंथन से ‘धन्वंतरि’ देव प्रकट हुए थे, जो आरोग्य और दीर्घायु के प्रतीक हैं। तभी से यह दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य से जुड़ा माना जाता है। आज के समय में, धनतेरस हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धन सिर्फ सोना-चाँदी नहीं, बल्कि हमारा विश्वास, परिवार, और सकारात्मक ऊर्जा भी है।
1. सोना या चांदी – स्थायी समृद्धि का प्रतीक
धनतेरस पर सोना या चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। यह परंपरा हमारे पूर्वजों से चली आ रही है, क्योंकि यह संपत्ति और सुरक्षा का प्रतीक है। आप चाहे छोटा सिक्का लें या कोई आभूषण, यह शुभ संकेत होता है कि आपके घर में लक्ष्मी का वास है। आजकल लोग डिजिटल गोल्ड भी खरीदते हैं — भाव वही है, बस माध्यम नया।
2. नया दीपक या दिया – अंधकार से उजाले की ओर
दीपक केवल मिट्टी और तेल का मिश्रण नहीं, बल्कि उम्मीद की लौ है। एक साधारण सा दिया भी जब जलता है, तो अंधेरे को दूर कर देता है। धनतेरस की शाम को जब पहला दीपक जलता है, तो ऐसा लगता है जैसे हर चिंता पिघल रही हो। अपने घर के मुख्य द्वार पर तांबे या पीतल का सुंदर दीपक जलाएँ, यह सौभाग्य का प्रवेश द्वार बनता है।
3. लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा – आरंभ और आशीर्वाद का मेल
गणेश जी बुद्धि और आरंभ के प्रतीक हैं, वहीं लक्ष्मी जी समृद्धि और सुख की देवी हैं। इस पावन अवसर पर दोनों की नई प्रतिमा घर में लाना शुभ माना जाता है। जब आप नई प्रतिमा लाएँ, तो पुरानी मूर्तियों को विधि अनुसार विसर्जित करें या किसी पवित्र स्थान पर रख दें।
4. घर की सफ़ाई और सजावट – जहाँ स्वच्छता, वहाँ लक्ष्मी
कहते हैं जहाँ स्वच्छता होती है, वहाँ देवी लक्ष्मी का वास होता है। इस धनतेरस, अपने घर की सफ़ाई के साथ-साथ कुछ नया सजावटी सामान भी खरीदें — जैसे तोरण, रंगोली स्टिकर, या झिलमिल लाइट्स। वातावरण का बदलाव मानसिक शांति और सकारात्मकता दोनों लाता है।
5. नए बर्तन – रसोई में समृद्धि का संकेत
धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना सबसे प्रचलित परंपराओं में से एक है। आप तांबे, स्टील या चाँदी का बर्तन खरीद सकते हैं। कहा जाता है कि रसोई घर की आत्मा है, और नया बर्तन घर में अन्न और धन की वृद्धि का प्रतीक होता है।
6. पूजा सामग्री – आस्था की तैयारी
धनतेरस की पूजा बिना सही सामग्री के अधूरी लगती है। हल्दी, कुमकुम, केसर, पंचमेवा, और तिलक सामग्री अवश्य खरीदें। यह न केवल पूजा को पूर्ण बनाता है, बल्कि मन में श्रद्धा और पवित्रता भी जगाता है।
7. नए वस्त्र – आत्मविश्वास और नयापन
कभी-कभी कपड़ा भी मन की स्थिति बदल देता है। धनतेरस पर नया वस्त्र खरीदना सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होता, बल्कि यह उस नए आरंभ का संकेत है जो आने वाले दिनों में हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है। घर के लिए भी कुछ नया खरीदें — जैसे परदे, कुशन कवर या टेबल रनर।
8. धनगृह या गुल्लक – बचत की शुरुआत
धनतेरस पर एक सुंदर गुल्लक या मनी-बॉक्स खरीदना बच्चों के लिए बहुत अच्छा प्रतीक है। यह उन्हें बचत की आदत सिखाता है। छोटे-छोटे सिक्कों से शुरू हुई यह गुल्लक आने वाले साल की बड़ी समृद्धि का आधार बन सकती है।
9. पौधा या तुलसी – जीवन में हरियाली
धनतेरस सिर्फ चीज़ें खरीदने का दिन नहीं है, बल्कि जीवन में नयी ऊर्जा जोड़ने का भी समय है। तुलसी, मनी प्लांट या बांस का पौधा घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा और वास्तु संतुलन दोनों बढ़ता है।
10. किताब या ज्ञान – सबसे बड़ा धन
अक्सर हम धनतेरस पर केवल भौतिक वस्तुओं की खरीद पर ध्यान देते हैं, पर असली निवेश तो ज्ञान में है। इस दिन एक किताब, कोर्स या कोई नई स्किल सीखने की दिशा में कदम बढ़ाएँ। यह आने वाले समय में आपकी सबसे बड़ी संपत्ति बनेगी।
✨ एक छोटी सी कहानी — दादी की सीख
मुझे याद है, बचपन में दादी हमेशा कहती थीं, “दीपक छोटा हो या बड़ा, अगर नीयत साफ़ है तो वह अंधेरे को मिटा ही देगा।” हर साल वह धनतेरस के दिन अपने पुराने चांदी के सिक्के साफ करतीं और एक नया सिक्का जोड़ देतीं। वह कहतीं, “ये सिक्के नहीं, मेरे विश्वास की गिनती है।”
आज जब मैं खुद घर सजाता हूँ, तो दादी की वो बातें कानों में गूंजती हैं — “सिर्फ खरीदने से कुछ नहीं होता, आस्था और मेहनत भी जोड़ो, तभी वस्तु में शुभता आती है।” यही तो असली अर्थ है धनतेरस का — शुभ वस्तु के साथ शुभ विचारों का संगम।
💫 निष्कर्ष – शुभता का असली अर्थ
धनतेरस पर की गई हर खरीदारी, चाहे छोटी हो या बड़ी, तभी अर्थपूर्ण होती है जब उसमें भाव जुड़ा हो। ऊपर बताई गई 10 वस्तुएँ न केवल परंपरा का हिस्सा हैं, बल्कि आधुनिक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, निवेश और आत्मविश्वास का प्रतीक भी हैं।
इस धनतेरस, केवल नया नहीं खरीदें — पुराने विचारों को भी बदलें, रिश्तों को नया करें, और अपने भीतर की रोशनी को जलाएँ। जब दिल से दीप जलता है, तो लक्ष्मी स्वयं द्वार तक आ जाती हैं।
